Beautiful thought
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सब कुछ हमारी इच्छा के अनुकूल ही होता रहे, जो चाहते हैं वही मिलता रहे, यह कदापि संभव नहीं है। प्रतिकूलताएँ बनी ही रहेंगी।
विपरीत परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाना भी एक कला है जो जानता है वह खीजता- झल्लाता नहीं वरन उनका कोई हल निकाल ही लेता है ऐसे मनुष्य ही मानसिक दृष्टि से संतुलित और प्रसन्नचित्त रहते देखे जाते हैं।
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