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shashiprabha
66
18 days agoSteemit

नाभ्युत्थानक्रिया यत्र नालापा मधुराक्षराः ।
गुणदोषकथा नैव तत्र हर्म्ये न गम्यते ।।

(पञ्च.मित्रभे./६८)

जिस घर में खड़े होकर सत्कार करने वाला कोई न हो, जहाँ मीठी वाणी से बातें न होती हों और जहाँ गुणों और दोषों की चर्चा न हो, ऐसे घर में नहीं जाना चाहिए ।

One should not visit a house, in which no one comes forward to receive visitor; there is no sweet talk and no one discusses what is good or bad.
अथार्त : रात खत्म होकर दिन आएगा, सूरज फिर उगेगा, कमल फिर खिलेगा- ऐसा कमल में बन्द भँवरा सोच ही रहा था, और हाथी ने कमल को उखाड़ फेंका।

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