New to Nutbox?

Beautiful thought

0 comments

shashiprabha
66
19 days agoSteemit

श्रूयतां धर्मसर्वस्वं, श्रुत्वा चैवावधार्यताम्।
आत्मनः प्रतिकूलानि, परेषां न समाचरेत्।।

अर्थात : धर्म का सार तत्व यह है कि जो आप को बुरा लगता है वह काम आप दूसरों के लिए भी न करें ।

crafto_1714279002556.png

*अनुभव कहता है !
खुश रहना है तो उन चीजों को त्याग दो जो तुम दूसरों से त्यागने की आशा लगाए बैठे हो !
‘खुश’ रहने के लिए
बहुत कुछ इकट्ठा करने की जरूरत नहीं बस अंतरात्मा में मात्र तृप्त भाव रखने की जरूरत है !!

Comments

Sort byBest