”Contest| Inspiring Women Challenge

sur-riti -

नमस्ते मेरे स्टीमियन दोस्तों,

यह प्रतियोगिता में मेरी भागीदारी है” | प्रेरणादायक महिला चुनौती @deepak94 द्वारा Hindwhale समुदाय में

इस विषय को जब हम गौर से देखने का प्रयास करेंगे तो हमें अपने जीवन की , अपने कार्य क्षेत्र की , अपने समाज की , अपने देश की बहुत सी सफल महिलाओं का ध्यान आएगा. जिन्होंने अपने जीवन में बहुत मेहनत करके न केवल अपने जीवन को सुधारा बल्कि अपने आस पास के अन्य लोगों की भी किस्मत बदल दी।

ऐसी ही एक महिला जो मेरी बहुत निकट सम्बन्धी थी की कहानी आपके साथ साझा करना चाहूंगा। लेकिन कुछ सामाजिक करने और निजी कारणों के कारण न तो उनके नाम का उल्लेख करूँगा और नहीं उनसे अपना रिश्ता दर्शाने का प्रयास करूँगा.

यह कहानी अब से लगभग ६० वर्ष पुरानी है , एक बेहद शांत , सुन्दर, शालीन , कम आयु की साधारण परिवार की हाई स्कूल पास लड़की का विवाह एक अत्यंत मेघावी लड़के के साथ संपन्न हुआ , विवाह के समय लड़का भी अध्ध्य्यन रत था और उस समय काल में हमारे देश में ऐसे विवाह होने आम बात थी।

फिर उस लड़के ने अपनी काबलियत और पढाई की लगन से चार्टेड एकाउन्टेन्ट की डिग्री हासिल कर ली , और बहुत शीघ्र उसके पास कई विदेशी कंपनियों से नौकरियों के ऑफर आगये और उस लड़के ने पश्चिम बंगाल की एक एक कम्पनी में एक उच्च पद ग्रहण कर लिया।

लेकिन यहाँ से उस लड़की के जीवन में खुशियों आने के स्थान पर दुखों ने कब्ज़ा कर लिया। उस लड़की की सास और ननदें उसे ताने मारने लगी की वो एक लगभग बेपढ़ी लिखी लड़की को अपने इतने ज्यादा पढ़े लिखे लड़के की पत्नी बना कर गलती कर दी.

और इसी आधार उस लड़की का जीवन उन सास ननदों ने तबाह करना शुरू कर दिया , वो अपना जीवन घुट घुट कर जीने लगी. क्योंकि ये सब एक भाग्य चक्र हमेशा सामान नहीं चलता हे. ईश्वर को ज्यादा दिन ये सब मंजूर नहीं हुआ।

अभी लड़के की नौकरी लगे २ साल भी नहीं हुए थे की उसे एक भयानक लाइलाज बीमारी ब्लड कैंसर हो गया , और इस बीमारी में उस लड़के के बचने की चांसेस न के बराबर घोषित हो गयी.

अब तो उस लड़की पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा घर पर तो उसे बेइज्जत किया ही जाता था अब तो समाज के लोग भी उसे एक बेपढ़ी लिखी और मनहूस लड़की कहने लगे.

करीब शादी के ५ साल के अंदर ही उसके पति की मृत्यु भी हो गयी और उसका जीवन बर्बाद हो गया। वो अपने २ बच्चों को लेकर वहां से अपनी माता पिता के घर चली गयी और उसने नए सिरे से पढाई शुरू की और लगभग ८-९ सालों में उसने परास्नातक और बी एड कर लिए साथ हो साथ वो कुछ छोटे स्कूलों में पढ़ाती रही और अपना और अपने बच्चो के खर्चे लायक धन भी कमाती रही।

और फिर बी एड करने के बाद उसको एक सरकारी स्कूल में टीचर का पद मिल गया , उसने फिर भी पढाई जारी रखी अपने ऊपर लगे बेपढ़ी होने के लांछन को हटाने के लिए अपना पूरा ध्यान अपने कॅरियर पर लगा दिया।

वो इतना ज्यादा पढ़ गयी और डॉक्टरेट की डिग्री भी हासिल कर ली उसे उसी शहर के एक डिग्री कॉलीज में प्रोफेसर बना दिया गया , और कुछ ही सालों में वो वहां की प्रधानाचार्य भी बन गयी।

उसने अपने दोनों बच्चो को बेहतरीन शिक्षा देकर काबिल बनाया , और वो शहर की उन दिनों की सबसे काबिल महिलाओं में से एक बन बैठी. आज उसकी बड़ी लड़की विदेश में एक उच्च पद पर हे , और लड़का शहर का एक बड़ा व्यवसायी हे.

यह सब उपलब्धियां उसने मात्र कुछ ही सालों में हासिल कर ली और अपने ससुराल वालों से एक रूपये की भी मदद नहीं ली , जब की उसके पति की मृत्यु के बाद उसकी कंपनी ने उसके परिवार को बहुत सा कम्पनसेशन धन दिया था.

इस महिला ने अपनी पूरी जिंदगी अपने ऊपर लगे बेपढ़ी लड़की के दाग को धोने में , और अपने मनहूस होने के कलंक को हटाने के लिए , बेहद परिश्रम किया और ये साबित कर दिया की वो मनहूस नहीं थी , उसने अपनी पूरी जिंदगी भले ही कोई सुख नहीं लिया लेकिन उसने अपनी कठोर मेहनत के दम पर अपने रिश्तेदारों, और समाज के मुँह पर ताला लगा दिया.

में उनसे बहुत प्रभावित रहा हूँ. और मैंने अपने जीवन भर ऐसी महिलाओं की बहुत कदर की हे जो अपने दम पर आगे बढ़ती हैं और अपना और अपने समाज का नाम रोशन करती हैं।

मैं यहाँ @naka05 @haidee @patjewell, @paholags और @suboohi को भी आमंत्रित करना चाहता हूँ, जिनसे मैं इस मंच पर प्रेरित हूँ।

मेरी पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद, मैं ईश्वर से सभी स्टीमियन की प्रगति और सुखद भविष्य के लिए प्रार्थना करता हूँ।

बहुत प्यार और सम्मान के साथ,

सुर-रीति❤️