किसी के मौन को समझने के लिए उसके हृदय में उतरना पड़ता है न कि हृदय से उतरें अगर हृदय से उतर चुके हैं तो न मौन समझ आएगा न शब्द समझा पाएगा। अगर हृदय में उत्तर गये तो न शब्द चाहिए न संबाद बस भाव ही बहुत है भावनाओं का आदान-प्रदान स्वयं हो जाता है !!